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Aug 29, 2020

भारत में 24 फीसदी स्टूडेंट्स के पास ऑनलाइन एजुकेशन के लिए इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध, शहरी- ग्रामीण और लिंग विभाजन में भी काफी बड़ा अंतर

हाल ही में जारी यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ऑनलाइन एजुकेशन के लिए सिर्फ 24 फीसदी स्टूडेंट्स के पास इंटरनेट कनेक्शन उप्लब्ध हैं। इसके अलावा शहरी- ग्रामीण और लिंग विभाजन में भी काफी बड़ा अंतर है, जिससे उच्च, मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों में पढ़ाई के स्तर पर भी काफी अंतर पड़ सकता है।

स्मार्ट लर्निंग से दूर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे

गुरुवार को रिमोट लर्निंग रिचेबिलिटी रिपोर्ट जारी करते हुए यूनिसेफ ने डिस्टेंस लर्निंग की पहुंच से जूझ रहे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए चिंता जाहिर की। रिपोर्ट में यूनिसेफ ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सिर्फ एक चौथाई घरों (24 फीसदी) में इंटरनेट की पहुंच है। साथ ही एक बड़ा ग्रामीण- शहरी और लैंगिक विभाजन भी है, जिसके के कारण उच्च, मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों में सीखने का अंतर भी काफी बड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की स्मार्ट लर्निंग तक पहुंच नहीं हैं।

लड़कियों की स्मार्टफोन तक पहुंच कम

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ज्यादातर हाशिए समुदायों के बच्चे विशेषकर लड़कियों के पास स्मार्टफोन की पहुंच आसान नहीं और यदि किसी के पास फोन उपलब्ध भी है, तो इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब है या गुणवत्ता वाली शिक्षा सामग्री आसान भाषा में उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कोरोना की वजह से देश में करीब 15 लाख से ज्यादा स्कूल बंद है। ऐसे में प्री- प्राइमरी से लेकर सेकेंडरी तक के करीब 28.6 करोड बच्चों की शिक्षा काफी प्रभावित हुई है। इन बच्चों में 49 फीसदी लड़कियां शामिल है, जबकि 6 करोड़ लड़के- लड़कियां कोरोनावायरस से पहले ही स्कूल से बाहर थे।

कोरोना काल में घर पर ही जारी पढ़ाई

वहीं कोरोना को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने घर पर ही पढ़ाई जारी रखने के लिए डिजिटल और गैर- डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कई पहल शुरू की है। ऐसे में अब यूनिसेफ ने भी बच्चों की सीखने की सामग्री के उपयोग और उसमें सुधार के लिए कई कदम उठाने और रणनीति बनाने का फैसला किया है। इस बारे में यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने समुदायों, माता- पिता और स्वयंसेवकों के साथ बच्चों तक पहुंचने और मौजूदा दौर में उनकी पढ़ाई में मदद के लिए संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने को कहा है। यास्मीन ने कहा कि मौजूदा दौर में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। स्कूल बंद है, माता- पिता के पास रोजगार नहीं है और परिवार तनाव से गुजर रहा है। ऐसे में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी ने उनकी पढ़ाई को बाधित होते देखा है।

ऑनलाइन एजुकेशन से दूर दुनिया के 46.3 करोड़ बच्चे

यही नहीं, डिजिटल शिक्षा तक पहुंच भी सीमित होने की वजह से सीखने के इस अंतर को कम नहीं किया जा सकता। ऐसे में बच्चों तक पहुंचने के लिए सभी को एक मिश्रित दृष्टिकोण अपनाना होगा। कोरोना की वजह से दुनिया भर में बंद स्कूल के करीब एक तिहाई स्कूली बच्चे यानी 46.3 करोड़ बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन हासिल करने में असमर्थ है। ऐसे में यूनिसेफ ने सरकारों से आग्रह किया है जब वह लॉकडाउन ढील देना शुरू करेंगे, तब वे स्कूलों को सुरक्षित ढंग से दोबारा खोलने को प्राथमिकता दें।

100 देशों के बच्चों पर आधारित है रिपोर्ट

यूनिसेफ की यह रिपोर्ट 100 देशों के प्री- प्राइमरी, प्राइमरी, लोयर- सेकेंडरी और अपर सेकेंडरी में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के पास रिमोट लर्निंग के लिए उपलब्ध सामग्री के आधार पर तैयार की गई है। इसके अलावा बच्चों की टीवी, रेडियो, इंटरनेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मिलने वाले स्टडी मैटेरियल की उपलब्धता को भी शामिल किया गया है।

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